1990 में जापान की बुलेट ट्रेन और टनल बूम की समस्या
परिचय:
जापान की बुलेट ट्रेन अपनी तेज़ रफ्तार और आधुनिक तकनीक के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। लेकिन 1990 के दशक में एक गंभीर समस्या सामने आई, जिसे Tunnel Boom कहा गया। जब ट्रेन सुरंग में प्रवेश करती थी, तो ज़ोरदार धमाका होता था, जिससे यात्रियों और आसपास के इलाकों में शोर की समस्या बढ़ गई।
टनल बूम क्या होता है?
जब कोई हाई-स्पीड ट्रेन सुरंग में घुसती है, तो वह तेजी से हवा को संपीड़ित (compress) करती है। यह हवा सुरंग के अंत में एक ध्वनि तरंग के रूप में बाहर निकलती है, जिससे बूम साउंड उत्पन्न होता है।
समस्या का हल कैसे निकला?
जापानी इंजीनियर ईजाबुरो नाकात्सु इस समस्या को हल करने के लिए प्रेरणा की तलाश कर रहे थे। तभी उन्होंने किंगफिशर पक्षी को गौर से देखा। यह पक्षी जब पानी में गोता लगाता है, तो कोई छींटा नहीं पड़ता, क्योंकि इसकी चोंच का आकार हवा और पानी के दबाव को बेहतरीन तरीके से संतुलित करता है।
बुलेट ट्रेन का नया डिज़ाइन:
इंजीनियरों ने बुलेट ट्रेन की नाक को Kingfisher पक्षी की चोंच की तरह डिज़ाइन किया, जिससे ट्रेन के सामने आने वाले हवा के दबाव को संतुलित किया जा सके। परिणामस्वरूप:
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टनल बूम की समस्या खत्म हो गई!
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ट्रेन की गति 10% तक बढ़ गई।
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ईंधन की खपत 15% तक कम हो गई।
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ट्रेन पहले से 30% ज्यादा शांत हो गई।
निष्कर्ष:
जापान की इस खोज ने ट्रेन टेक्नोलॉजी में एक क्रांति ला दी। आज दुनिया की कई हाई-स्पीड ट्रेनों में यही डिज़ाइन उपयोग किया जाता है। यह दिखाता है कि यदि हम समाधान के लिए प्रकृति को ध्यान से देखें, तो महान आविष्कार संभव हैं!



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